Success Story Of Dr. Laxman
संघर्ष की ऐसी ही दास्तां है छोटे से गांव जसाई के लक्ष्मण की। लक्ष्मण के पिताजी एक ट्रक ड्राइवर थे और जैसे-तैसे गुजारा कर परिवार का भरण-पोषण करते। सन्-2012 में उनका देहान्त हो गया, जिसके बाद लक्ष्मण और पूरे परिवार को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। तीन भाई और तीन बहनें, सभी अध्ययनरत थे। लक्ष्मण उस समय 6वीं कक्षा में था। परिवार में कमाने वाला कोई नहीं था। सबसे बड़ा भाई होने के नाते अब परिवार चलाने की जिम्मेदारी लक्ष्मण के कंधों पर आ गई।
आर्थिक संकट आने पर लक्ष्मण और उसके छोटे भाई ने जसाई मिलिट्री कैम्प में खाना बनाने और हेल्पर का काम शुरू किया। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए दोनों भाइयों ने परिवार को संभाला। दोनों ने मेहनत-मजदूरी से घर परिवार को संबल प्रदान करने के साथ-साथ तनिक बचत से सन्-2016 में अपनी दो बड़ी बहनों की शादी करवाई और अपना अध्ययन भी जारी रखा।
लक्ष्मण की अध्ययन में प्रखरता को देखते हुए छोटे भाई ने उसे आगे पढ़ाने का निर्णय लिया और अपनी पढ़ाई छोड़ घर की संपूर्ण जिम्मेदारियाँ अपने कंधे पर ले ली और मजदूरी करना जारी रखा।
लक्ष्मण ने पढ़ाई जारी रखते हुए वर्ष-2017 में दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान की प्रवेश परीक्षा दी। परीक्षा तथा आर्थिक स्थिति सत्यापन के आधार पर संस्थान में चयन हुआ। फिफ्टी विलेजर्स में रहते हुए बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की तथा वर्ष-2020 में NEET में चयन हुआ। अब जवाहर लाल नेहरू (JLN) मेडिकल कॉलेज अजमेर (राजस्थान) में MBBS तृतीय वर्ष के विद्यार्थी हैं।
लक्ष्मण कहते हैं कि फिफ्टी विलेजर्स के बगैर वो इस मुकाम पर नहीं होते। संस्थान के सहयोग, यहाँ के सकारात्मक माहौल और मार्गदर्शन की बदौलत ही उनके जैसे कई विद्यार्थी अपने सपने पूरे करने में कामयाब हुए हैं।
लक्ष्मण अपने छोटे भाई-बहन को भी पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी छोटी बहन ने आर्ट्स से 12वीं उत्तीर्ण की है तथा सबसे छोटा भाई कक्षा 8वीं में अध्ययनरत है।